रंग लहू का सिर्फ़ लाल होता है – ये सिर्फ किस्से हैं
दहशतगर्दी पर
अब हैरान नहीं होता
अब सीने में दिल नहीं
हैवानियत धड़कती है
ये सिर्फ वर्दी की वहशियत है
कानों पे दरिंदगी की काई है
दर्द ना सुनाई देती हैं,
ना आँसू दिखाई देता है
लहू बरसता है
अब बारिश भी लाल होती है
सूना था चमड़ी का रँग
भले ही हो अलग
कहते हैं लहू की कोई जात नहीं होती है
रंग लहू के सबका –
सिर्फ़ लाल होता है
सच बताएं – ये सिर्फ किस्से हैं