*रंग-बिरंगी दुनिया फिल्मी*
रंग-बिरंगी दुनिया फिल्मी
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तती तेज धूप दी गरमी,
आ गई काले मन च नरमी।
चित तेरे विच मन गवाचा,
गल कही मै सच सी धरमी।
कोई किसे दा मीत होया,
खुद दे कर्म सच्चे हैँ करमी।
जुल्मा दे हत्थी रहम नहीं,
जुल्म कमाए सदा जुल्मी।
मनसीरत कदे ना नेड़े-तेड़े,
रंग बिरंगी दुनिया फिल्मी।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)