रंग बिरंगा उपहार
हास्य व्यंग्य
रंग बिरंगा उपहार
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अभी अभी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री
शहबाज शरीफ का फोन मेरे पास आया
मैंने बड़ी इज्जत से फोन उठाया
प्यार से फरमाया
क्या हाल है भाया
जल्दी बोलो फोन क्यों मिलाया?
शहबाज शरीफ तो जैसे रो पड़े
क्या बताऊं जनाब
हमारे देश की हालत आप से छिपी है क्या?
और क्या बताऊं?
लोग भूखों मरने लगे हैं
दुनिया भीख देने को तैयार नहीं है
आपका पुराना दोस्त कटोरा खान
सिर पर चढ़ता जा रहा है,
कटोरा संस्कृति हमारी नस नस में ढकेल चुका है
हमने भी उसका अनुसरण किया
पर औंधे मुंह गिर पड़ा।
अब मेरा हाल इधर खाई उधर कुंए जैसी है
भाई लंदन में मजे कर रहा है
भतीजी यहां नाक में दम किए है
सारी समस्या की जड़ मुझे बता रही हैं।
कुछ समझ में नहीं आता
अब आप ही कोई राह दिखाइए
मेरा ही नहीं पाकिस्तान का भी
बेड़ा गर्क होने से बचाइए।
मैं बीच में ही बोल पड़ा
मगर मैं कोई राजनीतिज्ञ तो हूं नहीं
जो आप मुझसे सलाह मांगी रहे हैं
राजनीति की बात कूटनीतिक से
मुझे समझाने की चाल चल रहे हैं।
मेरी सलाह मानिए
आप मोदी जी की शरण में जाइए
उनके पास हर समस्या का समाधान है
आज की तारीख में वे ही सबके भगवान हैं।
वैसे मेरी समझ से आपकी समस्या का
अत्यंत सरल समाधान है।
बस कश्मीर राग गाना बंद कर दो,
अपने कब्जे का कश्मीर
तश्तरी में सजाकर भारत को दे दो
आतंकवाद से तौबा कर लो
मोदी जी के कदमों में सिर रख दो
तुम्हारे सलाहकार किसी काम के तो हैं नहीं
दो चार सलाहकार मोदी जी से उधार ले लो
चाहो तो वित्त, गृह, रक्षामंत्री भी मांग लो
मोदी जी किसी को भूखा नहीं मरने देंगे
ये वादा मुझसे ले लो।
घमंड छोड़ भारत के शरणागत हो जाओ
कुर्सी के साथ साथ अपना देश बचाओ।
फिर तुम्हारा ही नहीं पाकिस्तान का भी
परम कल्याण हो जायेगा।
आज तुम्हारा देश मोदी मोदी पर रहा
तुम इतना नासमझ तो नहीं हो यार
जो आमजन की आवाज नहीं सुन पा रहे हो
उनकी आवाज़ उनके अंतर्रात्मा की आवाज है
बस एक बार उसे स्वीकार कर लो
मोदी जी की छाया में आकर
अपना और पाकिस्तान का भविष्य संवार लो।
होली करीब है , इसका लाभ उठाओ
पाकिस्तानी चेहरों पर कालिख लगे
उससे पहले मोदी जी से इतना रंग गुलाल ले लो।
बुरा न मानो छोटे शरीफ अभी भी वक्त है
ऐसा न है कहीं देर न हो जाए
मौका भी है और दस्तूर भी
होली के मौके पर भारत से
ये रंग बिरंगा उपहार ले लो
पाकिस्तानी घायल नाक को
चाहो तो कटने बचा लो।
सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश
८११५२८५९२१
© मौलिक, स्वरचित