रंग बरसे
होली में संग लाल के, खेलूं मैं रंग लाल
लाल लाल रंग देख कर,लाल हो गया लाल
लाल हो गया लाल, रंग मुझपर भी पड गये
हुडदंगी संग लाल ,रंग डारन को अड गये
मन ऐसा बौराया जैसे, नशा हो भंग की गोली में
सर से दिया उडेल ढेरों रंग फिर होली में ….१
होली मे उडे लाल रंग,दिखता सब लालै लाल
ये रंगो का मौसम है, बस उड़ते दिखे गुलाल
उड़ते दिखे गुलाल, सब रंगो मे खो जायें
खा के गुझिया पी के भंग स्वयं मे इतरायें
बडों से मिलने जाते सबके सब टोली में
सारे दुख दर्द मिट जाते अपनो से मिलकर होली में ..2
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पंकज पाण्डेय ‘सावर्ण्य ‘
नरायनपुर भटनी
प्रतापगढ उ.प्र.