रंग औकात से ज्यादा,,, ग़ज़ल
एक ताज़ा #ग़ज़ल
दिनांक,,, 02/06/2024,,,,
बह्र ….2122 1122 1122 22,,,
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1,,
रंग औकात से ज्यादा , ही दिखाया तुमने ,
मुफलिसी में भी गरीबों को , सताया तुमने ।
2,,
शाम होने को जो आई , तो उधर मुंह फेरा ,
बे वजह मुझपे भी ,इल्ज़ाम लगाया तुमने ।
3,,
देख साक़ी को ,गुनहगार हुआ दिल उसका ,
छोड़ बैठा था वो दुनिया,जो जताया तुमने।
4,,,
ठोकरों तुम ही कहो, किसने तुम्हें समझाया,
दूर रहना जो बताया था ,निभाया तुमने।
5,,
साथ चलकर भी न समझे थे तेरे दिल को हम,
मिस्ल कंकर की तरह ,खूब हटाया तुमने ।
7,,
बा-खुदा “नील” ,भरोसा न रहा है क़ायम ,
वक्त से पहले जनाज़ा , जो बहाया तुमने ।
✍️नील रूहानी… 02/06/2024,,,
( नीलोफर खान )