रंगोली सी बेटियां
रंगोली सी बेटियाँ, इनके रंग हज़ार
लिए हाथ मे तूलिका, रँगती है घर द्वार
रँगती है घर द्वार, छोड़ जो इक दिन जाती
पर यादों की छाप, मिटा वो कभी न पाती
मिलते रिश्ते खूब, न माँ सी पर हमजोली
आते पापा याद, बनाती जब रंगोली
डॉ अर्चना गुप्ता