‘रंगीलो फाग’
रंग अनोखे ले चला,
देखो फागुन मास।
जन-जन तन-मन में जगा,
रंग तरंग उल्लास।।
रंग तरंग उल्लास,
फाग गीत बजने लगे।
बाल मचाते धूम,
सुबह शीघ्र जगने लगे।।
ले पिचकारी हाथ,
कब बंद खुलें झरोखे।
नाचे देकर ताल,
फाग के रंग अनोखे।।
रंग अनोखे ले चला,
देखो फागुन मास।
जन-जन तन-मन में जगा,
रंग तरंग उल्लास।।
रंग तरंग उल्लास,
फाग गीत बजने लगे।
बाल मचाते धूम,
सुबह शीघ्र जगने लगे।।
ले पिचकारी हाथ,
कब बंद खुलें झरोखे।
नाचे देकर ताल,
फाग के रंग अनोखे।।