रंगीन हुए जा रहे हैं
रंगीन हुए जा रहे हैं
ख्यालात सारे
महक उठी है हवाएँ
तेरे रुखसार को रंगने
की हसरतें मचलने लगी है
फाल्गुन की दस्तक
फ़िजा में घुल रही है शायद
हिमांशु Kulshrestha
रंगीन हुए जा रहे हैं
ख्यालात सारे
महक उठी है हवाएँ
तेरे रुखसार को रंगने
की हसरतें मचलने लगी है
फाल्गुन की दस्तक
फ़िजा में घुल रही है शायद
हिमांशु Kulshrestha