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25 Mar 2024 · 1 min read

रंगीन हुए जा रहे हैं

रंगीन हुए जा रहे हैं
ख्यालात सारे
महक उठी है हवाएँ
तेरे रुखसार को रंगने
की हसरतें मचलने लगी है
फाल्गुन की दस्तक
फ़िजा में घुल रही है शायद

हिमांशु Kulshrestha

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