#रंगभूमि बलात् छल कमाती क्यों है
✍️
● #रंगभूमि बलात् छल कमाती क्यों है ●
मन को मना तो लिया था मैंने लेकिन
ये पवन छूकर तुम्हें आती क्यों है
पीठपीछे हुए चांद और सितारे सब
पिछले पहर आस जगमगाती क्यों है
न रहे किसी के हम न कोई अपना
सच कहने में रात लजाती क्यों है
सत्यनिष्ठा और भूलचूक देनीपावनी
विधना वयपोथी से पन्ना फाड़ जाती क्यों है
है अभी दूर बहुत दूर स्वप्न आंखों से
मेलोंठेलों बीच नींद कसमसाती क्यों है
न विजित हुए हम न विजेता प्रीतसमर में
रंगभूमि बलात् छल कमाती क्यों है
स्मृतिदंश भोगती रीतों की चुभन
जो इधर है वो उधर जाती क्यों है
अंधापन पतवार है पारउतारन की
आज फिर यह लहर बताती क्यों है
प्राणसखा प्राणप्रिया से प्राणाधिक तक
जाती चिरसधवा पीर लौट आती क्यों है
तुम कहो कि अब मत कहो मैं सुन रहा हूं
बिन सान चढ़े की दमक जाती क्यों है
#वेदप्रकाश लाम्बा
यमुनानगर (हरियाणा)
९४६६०१७३१३