****यो म्हारो देश रंगीलो रे ****
यो म्हारो देश रंगीलो रे ,यो म्हारो देश रंगीलो रे
सोंधी सोंधी मिट्टी अनंकी
गुंथ्यो कबीलों लो रे ।
यो म्हारो देश रंगीलो रे यो म्हारो देश रंगीलो रे।
पर्वत पर्वत झरना फुटिया
श्री गंगा रो नीर।
घांट घांट में मठ ओ मंदिर
चरणों में सागर तीर।
चौखी चौखी पोशाका में
सज्यो छबीलो रे ।
यो म्हारो देश रंगीलो रे मारो देश रंगीलो रे।
दिवाली में दिवा जलावा
ईद पे बांटा सिवय्या ।
जैन पारसी सिक्ख इसाई
इ भी अपना भैया ।
भारती रो मंत्र सुरीलो रे
यो म्हारो देश रंगीलो रे यो म्हारो देश रंगीलो रे ।
गीता रो उपदेश पड़यो
रसखान भी म्हाने भावे ।
सगली दुनिया कर्म शिकवा
अपना देश में आवे ।
भावे ओ भावे यो अंबर नीलो रे
यो म्हारो देश रंगीलो रे यो म्हारो देश रंगीलो रे।
“राजेश व्यास अनुनय”