Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Aug 2024 · 1 min read

“योमे-जश्ने-आज़ादी” 2024

कभी ज़मीं तो कभी आसमान कहते हैं,
तिरी ही ज़र, तिरी दौलत पे नाज़ करते हैं।

हो मुबारक सभी को योमे-जश्ने-आज़ादी,
सभी शहीद फ़क़त दिल मेँ मिरे रहते हैं।

ख़ुशनसीबी का अपनी हो भी अब बयाँ कब तक,
हवा-ओ-आबे-मुक़द्दस मेँ हम तो पलते हैं।

ज़मीं है बर्गो-बार, हर तरफ़ है शादाबी,
यहाँ की ख़ाक मेँ ही खेल के हम बढ़ते हैं।

क़र्ज़ किस तरह चुकाऊंगा, देश का अपने,
पड़े जो बात, यहीं ख़ाक मेँ भी मिलते हैं।

पेट दुखता है, यक़ीनन बहुत से मुल्कों का,
यहाँ की शान से, वो दिल ही दिल मेँ जलते हैं।

दिल है दुखता जो जरायम-ए-नाज़नीँँ पे मिरा,
अश्क़े-बेदाग़े-मुसलसल जो मिरे बहते हैं।

चढ़े ये देश, तरक्की के पायदान, सदा,
हम इसी आरज़ू मेँ, रँजो-ग़म भी सहते हैं।

हमें है फ़ख़्र, तिरंगे पे इस क़दर “आशा”,
इसी की आबरू पे, जाँ निसार करते हैं..!

योमे-जश्ने-आज़ादी # स्वतंत्रता दिवस का पर्व, celebrations of independence day
हवा-ओ-आबे-मुक़द्दस # पवित्र जलवायु, holy environment
जरायम-ए-नाज़नीँँ # महिलाओं पर अत्याचार, crimes on women.
बर्गो-बार # फल-पत्तों युक्त, laden with fruits and leaves
शादाबी # हरियाली, greenery
जरायम-ए-नाज़नीँँ # महिलाओं पर अत्याचार, crimes on women.
अश्क़े-बेदाग़े-मुसलसल # निष्कपट आँसुओं का निरन्तर (बहना), (shedding) tears continuously

##———–##———–##———-##——–

Language: Hindi
16 Likes · 27 Comments · 421 Views
Books from Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
View all

You may also like these posts

परछाई
परछाई
Dr Archana Gupta
हनुमंत लाल बैठे चरणों में देखें प्रभु की प्रभुताई।
हनुमंत लाल बैठे चरणों में देखें प्रभु की प्रभुताई।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
सुनो सखी !
सुनो सखी !
Manju sagar
शून्य ही सत्य
शून्य ही सत्य
Kanchan verma
*शिक्षक जिम्मेदार, देश का धन है असली (कुंडलिया )*
*शिक्षक जिम्मेदार, देश का धन है असली (कुंडलिया )*
Ravi Prakash
ठुकरा के तुझे
ठुकरा के तुझे
Chitra Bisht
"आय और उम्र"
Dr. Kishan tandon kranti
Student love
Student love
Ankita Patel
बात बहुत सटीक है। आजकल का प्रेम विफल होने का एक मुख्य कारण य
बात बहुत सटीक है। आजकल का प्रेम विफल होने का एक मुख्य कारण य
पूर्वार्थ
"बस तेरे खातिर"
ओसमणी साहू 'ओश'
पलकों की दहलीज पर
पलकों की दहलीज पर
RAMESH SHARMA
शाम हुई, नन्हें परिंदे घर लौट आते हैं,
शाम हुई, नन्हें परिंदे घर लौट आते हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
अफ़वाह है ये शहर भर में कि हमने तुम्हें भुला रक्खा है,
अफ़वाह है ये शहर भर में कि हमने तुम्हें भुला रक्खा है,
Shikha Mishra
Poem
Poem
Prithwiraj kamila
नज़र नहीं आते
नज़र नहीं आते
surenderpal vaidya
नेता जब से बोलने लगे सच
नेता जब से बोलने लगे सच
Dhirendra Singh
नव वर्ष की बधाई -2024
नव वर्ष की बधाई -2024
Raju Gajbhiye
जादू था या तिलिस्म था तेरी निगाह में,
जादू था या तिलिस्म था तेरी निगाह में,
Shweta Soni
आज अंधेरे से दोस्ती कर ली मेंने,
आज अंधेरे से दोस्ती कर ली मेंने,
Sunil Maheshwari
वर्ण पिरामिड
वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
ठहर कर देखता हूँ खुद को जब मैं
ठहर कर देखता हूँ खुद को जब मैं
सिद्धार्थ गोरखपुरी
!!भोर का जागरण!!
!!भोर का जागरण!!
जय लगन कुमार हैप्पी
अनमोल मोती
अनमोल मोती
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
भीष्म के उत्तरायण
भीष्म के उत्तरायण
Shaily
पड़ोसन के वास्ते
पड़ोसन के वास्ते
VINOD CHAUHAN
स्वयं से परीक्षा
स्वयं से परीक्षा
Saurabh Agarwal
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
उठो भवानी
उठो भवानी
उमा झा
ठहर गया
ठहर गया
sushil sarna
Loading...