योग
धर्म आस्था से प्रथम,बना योग विज्ञान।
योग विधा में थे निपुण,शिव शंकर भगवान।।
शिव शंकर के बाद ही,हुआ योग प्रारंभ।
वैदिक कालों से रहा,विदित वृहत स्तंभ।।
गीता वेद पुराण में,भरा योग का सार।
ऋषि मुनियों ने फिर दिया,इसे एक आधार।।
गीता में श्री कृष्ण ने,दिया योग का ज्ञान।
महावीर औ’ बुद्ध ने,कहा योग वरदान।।
दिया पतंजलि योग को,एक व्यवस्थित रूप।
नीति नियम रहस्य से,भरा हुआ इक कूप।।
पतंजलि योगसूत्र है,जटिल योग का यंत्र।
इसमें कुंजी की तरह,है विस्फोटक मंत्र।।
यहाँ योग शरुआत से,ऐसा भारत देश।
सबसे आगे आज भी,योग नगर ऋषिकेश।।
धीरे-धीरे योग का,जग में हुआ प्रचार ।
कईं योगियों ने किया,पश्चिम में विस्तार।।
भौतिकवादी दौड़ में,सिर्फ योग उपचार।
इस धार्मिक सिद्धांत को, किया विश्व स्वीकार।।
जहाँ जन्म ले योग ने,जग में हुआ प्रसिद्ध।
नमन करूँ माँ भारती, हाथ जोड़ निर्विद्ध।।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली