योग
आज विश्व को चाहिए,ऐसा एक विज्ञान।
हितकारी सबके लिए,योग शक्ति संधान।।
सामाजिक कल्याण की,एक विधा है योग।
भौतिकवादी दौड़ में,जिससे रहे निरोग।।
योग एक तकनीक है, मन को करे ससक्त।
काम करेगा फेफड़ा, शुद्ध रहेगा रक्त।।
मन में जमें तनाव को,करे योग से दूर।
तन मन में उर्जा भरें,हो मुखरे पर नूर।।
निर्णय की क्षमता बढ़े,हो संतुलित दिमाग।
बढ़ती है एकाग्रता,दुविधा जाती भाग।।
पूर्ण तरह से योग में,बन जा परम प्रबुद्ध।
सोच समझ तब आपकी,हो जायेगी शुद्ध।।
जिसने जीवन भर चखा,ध्यान योग का कंद।
उसके अंदर फूटता,एक अतुल आनंद।।
-लक्ष्मी सिंह