योग!
मनुष्य अभी तक योग क्या है?यह नही जान पाया है। योग कहने में बहुत आसान है। लेकिन यह शब्द पूरी सृष्टि को समेटे हुए है। और हमारी पृक्रति भी योग पर कायम है। कुछ चीजों को हम समझ नही पाते हैं, और वह मनुष्य जीवन में अपने आप काम करती रहती है। यही योग का खेल है। योग का अर्थ होता है, जोड़ना जैसे हम जब दो अंकों को आपस में जोड़ते हैं।तब एक योग फल निकल कर आता है। वैसे ही ठीक हमारे जीवन में भी यही घटित होता है। तभी हमारी सृष्टि की रचना होती है। साधु संत इस क्रिया को लगातार करते हैं । तभी वह योगी बन जाते हैं। योग से हम दो प्राणियों को मिलाते है ,तब वह दो से तीन हो जातें हैं। प्रकृति में जब दो हवाएं आपस में मिलती है ,तब पानी बन जाता है।जब मनुष्य शारिरीक योग करता है,तब वह निरोगी हो जाता है। यही योग है,कि हम अपने अंगों को एक दूसरे अंगों से जोड़ते हैं, तो हमारे अंदर एक क्रिया उत्पन्न होती है। वहीं मनुष्य को स्वास्थिक लाभ प्रदान करती है। योग की महिमा हमारे ग्रहस्थ जीवन में अपने आप घटित होती रहती है। योग से ही हमारा जीवन बना हुआ है। बिना योग के कोई भी चीज उत्पन्न नही होती हैं। यही एक प्राकृतिक रहस्य है।