योग दिवस
योग दिवस (त्रिपदा )
सुबह योग हो नित्य
बहुत सुखद यह कृत्य
सदा स्वस्थ तन स्तुत्य।
होता वही निरोग
जो करता है योग
तन का यह सहयोग।
अष्ट अंग हों पुष्ट
सारा तन हो हृष्ट
सकल रोग हों नष्ट।
मन होता खुशहाल
योग वदन का पाल
चेहरा लगता लाल।
योगी हरदम मग्न
सुन्दर यद्यपि नग्न
उड़ता रहता गग्न।
रहता है संतुष्ट
दिखता प्रति क्षण तुष्ट
सदा शक्ति से पुष्ट।
देखभाल करतार
तन से इसको प्यार
स्वागत अरु सत्कार।
सदा तोष का दान
जीवन का यह ज्ञान
योग बढ़ाता मान।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।