योग अपनाए
योग करे हम आओ सब मिलकर योग करे,
निरोगी बने काया इसका सब उपयोग करे।
योग है सुन्दर उपक्रम जीवन बनता सुखी ,
सुन्दर बनती काया सुदृढ मन ना होता दुखी।
स्वच्छ सुन्दर बनता मन स्वस्थ रहता है तन,
ना कोई पैसा लगे जीवन का अनमोल धन।
सूर्य नमस्कार, वज्रासन ,शवासनादि है आसन,
साँस साँस में ओम् नाद प्राण तत्व का होता पोषण ।
संजीवनी बूटी है योग बिन मांगे हमें मिल जाती है ,
करता है जो नित योग उसकी जिन्दगी संवर जाती है।
नित कर योग ,रहो सब निरोग,आलस को भगाओ,
ईश्वर का कर के ध्यान मन को सरल सहज बनाओ।
विविध विविध विधाऐ इसकी करो कैसे भी इसको,
बैठकर, लेटकर ,खड़े होकर जैसे मर्ज़ी करिए इसको।
मन में ना रहेगा कोई द्वंद्व जीवन बनेगा सदैव मस्त,
मस्तिष्क रहेगा स्वस्थ जीवन मे कभी ना होगे पस्त। ।
डा राजमती पोखरना सुराना