ये साख से झड़ते पत्ते
ये साख से झड़ते पत्ते
ये साख से झड़ते पत्ते
कुछ कहना चाहते है ,मुझसे
शायद फलसफा जिंदगी का
सुनना चाहते है ,मुझको
ये साख से झड़ते पत्ते
यौवन की हरियाली ,
बुढ़ापे की दुर्दशा,
दिखाना चाहते है , मुझको
ये साख से झड़ते पत्ते
कालचक्र जीवन का
समझना चाहते है, मुझको
भेद जीवन -मृत्यु का
बताना चाहते है ,मुझको
ये साख से झड़ते पत्ते
लेखिका -मीनू यादव