ये महफिल
मैं विशवाश नहीं हू.पर तुम विशवाश मैं आ गये हो।हसंने और हसाने की राह पर आ गये हो।।यहां बड़ी ससती है वाहवाही।लूट सको तो लूट लो.यहां पर हर चीज है मन चाही।ये महफिल है सुनने और सुनाने बालों की।आज तुम सत की सनगत मैं आ गये हो।।ये सभा कोई आम सभा नही समझना ।कवियों और बुद्धि जीबो का यहां है आना जाना।यहां पर तुम ज्ञान यज्ञ का आयोजन में आ गए हो। पर तुम विश्वास में आ गए हो। तुम हंस कर जाना हंसी लेकर जाना। नाभि आए तो उधार लेकर जाना। पर तुम विश्वास के चक्कर में फस गए हो।