ये भावनाओं का भंवर है डुबो देंगी
ये भावनाओं का भंवर है डुबो देंगी
इसलिए मैं होना चाहती हूँ
फिर से जंगली
जंगलियों में भावना होते हुए भी
खुद को भावनाविहीन कर लेते हैं
जैसे पेड़ के मर जाने पर
नया पौधा बो देते हैं वो
अपने सारे दुख को मानो
पत्थर की सिलवट पर पीस देते हैं वो