ये बेचारी ग़म दुनियाँ
दुनियाँ चेलैंज देती है हमको और हम दुनियाँ
जाने ना अब हमें, तो है ये बेचारी ग़म दुनियाँ
दुनियाँ निकालेगी चाहेगी गिन- गिन कमियाँ
मिल भी जाये तो क्या है समाजों की दुनियाँ।।
?मधुप बैरागी
दुनियाँ चेलैंज देती है हमको और हम दुनियाँ
जाने ना अब हमें, तो है ये बेचारी ग़म दुनियाँ
दुनियाँ निकालेगी चाहेगी गिन- गिन कमियाँ
मिल भी जाये तो क्या है समाजों की दुनियाँ।।
?मधुप बैरागी