ये बारिश का मौसम
क्या जान पाएंगे हम
बैठकर घर की चारदीवारी में
कैसा होता है मौसम
जब पड़ती है झमाझम बारिश
भीग जाता है कण कण
मिटती है प्यास धरा की
जब पड़ती है बारिश
निखर जाती है खूबसूरती धरा की
आते है सैलाब नदी में
झरनों में यौवन आता है
जब बारिश होती है
दिलों में प्यार आता है
कहीं मिलन का मौसम तो
कहीं विरह की आग होती है
बारिश की बूंदों की छुअन
तो बड़ी कमाल होती है
गिरती है जब ये बूंदें पेड़ पौधों पर
कुछ ओस बनकर ठहर जाती है
मिलकर फिर सूरज की किरणों से
वो आंखों से ओझल हो जाती है
क्या जादू है इस बारिश में
जंगल में मोर भी नाचते है
थिरकते है पांव उनके जब
वो मनमोहक दृश्य होते है
भेज रहा जो बारिश में, धरती को प्यार अपना
विरह पीड़ा महसूस कर रहा, वो आसमां भी
पाकर बारिश आसमां से, तृप्त हो गई धरा
है तृप्त, धरा से कोहरे को आते देख, आसमां भी।