Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Jul 2024 · 1 min read

ये बादल क्युं भटक रहे हैं

ये बादल क्युं भटक रहे हैं
फिजा में दर बदर..!!
शायद इनसे भी बात नहीं कर रहा
इनका अपना कोई….!!!!

2 Likes · 64 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
शिल्प के आदिदेव विश्वकर्मा भगवान
शिल्प के आदिदेव विश्वकर्मा भगवान
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
स्वतंत्रता आन्दोलन में महिलाओं का योगदान
स्वतंत्रता आन्दोलन में महिलाओं का योगदान
Dr.Pratibha Prakash
लोगों की फितरत का क्या कहें जनाब यहां तो,
लोगों की फितरत का क्या कहें जनाब यहां तो,
Yogendra Chaturwedi
Aaj kal ke log bhi wafayen kya khoob karte h
Aaj kal ke log bhi wafayen kya khoob karte h
HEBA
इश्क़ किया नहीं जाता
इश्क़ किया नहीं जाता
Surinder blackpen
अच्छा लिखने की तमन्ना है
अच्छा लिखने की तमन्ना है
Sonam Puneet Dubey
निश्चित जो संसार में,
निश्चित जो संसार में,
sushil sarna
सबके सुख में अपना भी सुकून है
सबके सुख में अपना भी सुकून है
Amaro
वफ़ा के बदले हमें वफ़ा न मिला
वफ़ा के बदले हमें वफ़ा न मिला
Keshav kishor Kumar
तुमने कितनो के दिल को तोड़ा है
तुमने कितनो के दिल को तोड़ा है
Madhuyanka Raj
इंतज़ार मिल जाए
इंतज़ार मिल जाए
Dr fauzia Naseem shad
शिक्षा अपनी जिम्मेदारी है
शिक्षा अपनी जिम्मेदारी है
Buddha Prakash
"छलनी"
Dr. Kishan tandon kranti
अधूरी कहानी (कविता)
अधूरी कहानी (कविता)
Monika Yadav (Rachina)
गहरी हो बुनियादी जिसकी
गहरी हो बुनियादी जिसकी
कवि दीपक बवेजा
दिल का मौसम सादा है
दिल का मौसम सादा है
Shweta Soni
💞मुझे तो तोहफे में. ...
💞मुझे तो तोहफे में. ...
Vishal Prajapati
*ज्ञान मंदिर पुस्तकालय*
*ज्ञान मंदिर पुस्तकालय*
Ravi Prakash
कमाल लोग होते हैं वो
कमाल लोग होते हैं वो
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
नफ़्स
नफ़्स
निकेश कुमार ठाकुर
ये कैसी आज़ादी
ये कैसी आज़ादी
Rekha Drolia
एक कुण्डलियां छंद-
एक कुण्डलियां छंद-
Vijay kumar Pandey
महबूबा और फौजी।
महबूबा और फौजी।
Rj Anand Prajapati
जीवन शैली का स्वस्थ्य पर प्रभाव
जीवन शैली का स्वस्थ्य पर प्रभाव
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
गंगा- सेवा के दस दिन (चौथादिन)
गंगा- सेवा के दस दिन (चौथादिन)
Kaushal Kishor Bhatt
मेरे दुःख -
मेरे दुःख -
पूर्वार्थ
हँसती है कभी , रुलाती भी है दुनिया।
हँसती है कभी , रुलाती भी है दुनिया।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
4812.*पूर्णिका*
4812.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
#छोटी_सी_नज़्म
#छोटी_सी_नज़्म
*प्रणय*
अरुणोदय
अरुणोदय
Manju Singh
Loading...