ये बच्चे!!
ये बच्चे नादान….
गुरु की महिमा ये न जाने ,
अपने को भी न पहचाने
बिन बात मुस्काते हैं ..
आकर्षण से भर जाते हैं
जीवन की डगर समझे बिन
उसमे ये उलझ जाते हैं l
ये बच्चे नादान….
घमंड -गुस्से का कोई अंत नहीं
लड़ाई -झगड़े का छोर नहीं
बिन बात की तू तू मैं मैं
बिन सर पैर की बातें
न खुद समझ पाते
न हमे समझा पाते
ये बच्चे नादान …
खेल वेळ न इन्हे लुभाता
ये तो हैं व्हट्स एप, फेस बुक के ज्ञाता
बिन पंथ के दौड़ रहे हैं….
मंज़िल से मुख मोड़ रहे हैं…
कोई आकर रह दिखाए तो
उसका दमन छोड़ रहे हैं
ये अज्ञानी कब जागेंगे ?
ड्यूटी अपनी कब समझेंगे ?
जीवन नहीं हैं आसान इतना
मुश्किल डगर , नामुमकिन सी मंज़िल
घनघोर अँधेरे ने हैं इनको घेरा
कब जागेंगे ?
ये बच्चे नादान से …कब ?