ये जो
ये जो
एहसास पिरोता हूँ
मैं लफ्जों में
तेरे लिए ये…
मेरे चंद नजराने हैं
हुआ करता था
कभी किसी का बेहद अपना
आज उतना ही बेगाना हूँ
वो अनगिनत वादे, कसमें
सब धुआं धुआं हुए
बाकी बस अफ़साने है
हिमांशु Kulshrestha
ये जो
एहसास पिरोता हूँ
मैं लफ्जों में
तेरे लिए ये…
मेरे चंद नजराने हैं
हुआ करता था
कभी किसी का बेहद अपना
आज उतना ही बेगाना हूँ
वो अनगिनत वादे, कसमें
सब धुआं धुआं हुए
बाकी बस अफ़साने है
हिमांशु Kulshrestha