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31 Dec 2024 · 1 min read

ये जो

ये जो
एहसास पिरोता हूँ
मैं लफ्जों में
तेरे लिए ये…
मेरे चंद नजराने हैं
हुआ करता था
कभी किसी का बेहद अपना
आज उतना ही बेगाना हूँ
वो अनगिनत वादे, कसमें
सब धुआं धुआं हुए
बाकी बस अफ़साने है

हिमांशु Kulshrestha

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