ये जमीं आसमां।
कहीं तो मिलते होंगे…
ये जमीं आसमां…!!
या ऐसे ही लगते है,
दूर से मिलते हुए,
क्या सच में इश्क धोखा है…
जो मिलता है सबको ही यहां…!!
चलते हैं साथ साथ,
दरिया के किनारे भी…
पर उनको भी नहीं होता,
मयस्सर एक दूसरे से मिलना…!!
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️