*ये कैसी आज बेफिकी (पॉंच आध्यात्मिक शेर)*
ये कैसी आज बेफिकी (पॉंच आध्यात्मिक शेर)
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1
तड़प उठती है मिलने की, तो हम तुमको बुलाते हैं
मेरे मालिक सताते क्यों हो, आ जाया करो जल्दी
2
ये कैसी है नशा-मस्ती, ये कैसी आज बेफिक्री
जगह यह कौन-सी है, कौन लाया है यहाँ मुझको
3
तरक्की के लिए कैसे बनें हम भीड़ का हिस्सा
हमें खुद से अकेले में भी तो कुछ बात करनी है
4
जब उनको बुलाता हूँ, वो मेरे पास आते हैं
मैं उनके संग रहता हूँ, मगर उनको नहीं देखा
5
कभी लगता है, मैं सब जानता हूँ उनके बारे में
कभी लगता है मैने तो उन्हें देखा नहीं अब तक
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रचयिता:रवि प्रकाश
रामपुर