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30 Aug 2021 · 1 min read

ये कैसा मौसम

ये कैसा मौसम

यह कैसा मौसम आया है ना दिखाई देती कोई धूप नहीं कोई छाया है

लग रहा था बसंत जैसे आ गया पतझड़ ही अब पत्ते भी शाखों से टूटे हुए हैं

पल-पल बदल रही ऋतु भी अपना मन जैसे इसको भी ना कोई भाया है

कभी दिख रही है आसमान में लाली तो कभी हो गई बदरी काली काली

अब तो दिख रही हर पति हर शाख निराली कभी दिखती ही सुखी हुई सी कभी

लगती है हरियाली ,सूरज भी बहुत कुम्भलाया है टिमटिमाती ना कोई

किरण हर फूल क्यों मुरझाया है यह कैसा मौसम आया है

ना दिखाई देती कोई धूप ना है कोई छाया है ||

‘कविता चौहान’

Language: Hindi
200 Views
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