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4 Oct 2024 · 1 min read

ये और मैं

तू वो ग़ज़ल है मेरी
जिसमें शब्दों से ज़्यादा
तू नज़र आता है सबको
तेरे बिना अधूरी है, ये और मैं

मेरी आँखों को तेरी आदत है
तुझे देख मिलता इनको चैन है
जो न दिखे तू तो,
बेचैन सी लगती है, ये और मैं

ये जो नूर नज़र आता है
सबको और तुझको मेरे चेहरे पर
तुझ बिन बेनूर है, ये और मैं

ख्वाबों की दुनिया सजी है जो
हक़ीक़त होने के लिए
तुझ बिन बेविज़ूल है, ये और मैं

ये जो मोहब्बत के किस्से
हर महफ़िल की जान हैं
तेरे ज़िक्र बिना लगते बेजान हैं, ये और मैं

❤️ सखी

Language: Hindi
1 Like · 23 Views
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