ये एक तपस्या का फल है,
ये एक तपस्या का फल है,
नारी जीवन इक संबल है,
संबल है उस नर का
जिसकी जननि है वह,
वह नर जो नारी की
लेता है अग्नि परीक्षा,
वह नर जो भरी सभा में
चीर हरण करता है,
वह नर जो छोड़
चला जाता सोता उसको,
और विरह में छोड़
चला जाता रोता उसको,
उसको छाया देता फिर भी
वह अंचल है,
नारी ,नर का क्या नहीं अकेला संबल है।