ये इश्क़
यह इश्क़ है जनाब, बहुत कुछ करवाता है!
महबूब के लिए जमाने से, बिल्कुल अलगाता है!
उस का साथ पाने को, एक मुलाकात के बहाने को,
बहुत से झूठ बुलवाता है, नाकों चने चबवाता है!
खतरे को भाँप कर भी, किसी का हो जाता है।
प्यार अंधा होता है, बस यूँ ही नहीं कहा गया,
पहले इश्क़ होता है, कि फिर समझ सुलाता है!
गणित के जोड़ घटाव से, इसका कोई नाता नहीं,
इसमें हारने वाला ही, सरताज कहलाता है॥