यूं ही कोई लेखक नहीं बन जाता।
यूं ही कोई लेखक नहीं बन जाता।
लेखक वो नहीं होता जो सिर्फ अच्छी रचनाएं दे, एक अच्छा लेखक तो वो होता है जिसकी कलम उसके जज़्बात को बयां करती हो, जिसके जज़्बात लोगों के दिल को छू जाते हों और संग में पंक्तियां भी अल्फाज़ बन जाते हों। जिसके शब्द पड़कर लोग स्तब्ध हो जाते हों, और जिसकी कविता पलभर में नवनिर्मित वातावरण को निमंत्रित कर देती हो…ऐसे शब्दों का प्रवाह एक लेखक के रक्त में होता है, आवश्यकता उसे पहचानने की हो।