*यूँ ना जाओ हमें तन्हाँ छोड़ कर*
यूँ ना जाओ हमें तन्हाँ छोड़ कर
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यूँ ना जाओ हमें तन्हाँ छोड़ कर,
मर जाएंगे अकेले दम तोड़ कर।
क्यों हो यूँ तुम खफा मै ना जानता,
दूरी पर हो खड़े यूँ मुख मोड़ कर।
थोड़ी नाराजगी तुम दो ना सजा,
बातें मन की बता तू दिल खोलकर।
जीना दुश्वार हुआ बिन तेरे सनम,
जल्दी जल्दी चले आओ दौड़ कर।
छाया रहता नशा हाला सा सदा,
मर ना जाऊँ कहीं आहें छोड़ कर।
मनसीरत मन में रहा तुम्हें सोचता,
मिल जाओगे कभी सूने मोड़ पर।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)