यूँ तो इस पूरी क़ायनात मे यकीनन माँ जैसा कोई किरदार नहीं हो
यूँ तो इस पूरी क़ायनात मे यकीनन माँ जैसा कोई किरदार नहीं हो सकता, वो शख्सियत जिसकी शक्ति के बिना इस संसार में नए जीवन और विकास का सृजन सम्भव ही नहीं है, जिस शक्ति के सहारे से स्वयं प्रभु श्री राम, श्री कृष्ण भगवान, महावीर विक्रम बजरंग बली, भगवान भी इस धरती लोक पर अवतरित हुए हैं उस परम शक्ति माँ के चरणों मे मेरी ये पंक्तियाँ अर्पित है.
पत्थर हो कर पहले नींव जमाई जाती है,
माँ बाद में बनती है, पहले जां दांव पर लगायी जाती है |।
खुद को सब्र का बाँध कहने वालों,हिम्मत तो पैदाइश मे दिखाई जाती है |।
माँ के करतब से ख़ुदा भी अनजान है,यूँ ही नहीं पैरों की धूल सर पर लगायी जाती है |।
हादसों से कभी ताल्लुक होने नहीं दिया,मेरे पहुंचने से पहले माँ की परछाई आ जाती है |।
मंदिर, तीर्थ की जिरायत को क्यूँ भटकना,ख़ुदा की नेकी भी माँ मे समायी जाती है |
लहू अपना देकर साँसे अता करती है जान मे,वक़्त आने पर माँ पलकों पर बैठाई जाती है |।
छत की क़ीमत का अंदाजा तब होगा बशर,माँ चली जाये और पीछे तन्हाई रह जाती है |
बूढे हाथ भी तेरी खुशी के लिए उठेंगे ,माँ है वो, माँ की भलाई कहा जाती है |
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