युद्ध….
मानव सर्वबुद्धिमान व सर्वशक्तिमान प्राणी होने के साथ-साथ इतिहास के कालखंडो मे अपनी विवेक रूपी शक्ति का अनेक अवसरो मे अपने अहंकार को साबित करने के लिए दुरूपयोग किया है व मानव जीवन के एक बृहद समूह को काल के गाल मे डालने का कुकृत्य किया l धर्म इतिहास मे देखे तो शिवभक्त और महान तपश्वी रावण ने अहंकार व अमर्यादित तृष्णा से घिरकर मर्यादा पुरुषोत्तम राम की धर्मपत्नी का हरण किया साथ ही महाभारत की उपज भी अहंकार, अमर्यादा व लोभ की वजह से हुई l
कोई भी युद्ध बेशक़ दो व्यक्ति, संस्था या विचारों से शुरू हो लेकिन इसके परिणाम तात्कालिक ना होकर दीर्घकालिक होते है l जिसमे जन-धन की अपूर्व हानि के साथ साथ मानव जाति को भी सबक का कटोरा मिलता है l यह सबक का कटोरा बुद्धिजीवी प्राणी के लिए ज्यादा मायने रखता है की कब तक संजो कर रख सकता है l
एक सदी के अंदर दो विश्व युद्ध वा उसकी तबाही देखने के बाद भी आज विश्व फिर एक महायुद्ध के मुहाने पर खड़ा है l इसके परिणाम क्या होंगे यह तो आने वाला भविष्य ही बताएगा लेकिन रूस यूक्रेन व यूरोप को देखते हुए युद्ध के परिणाम को समझना असंभव है l
युद्ध के होने के पीछे हर राज्य की अपनी अपनी राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक व विदेश नीति की अलग परिभाषा होती है l यदि वर्तमान युद्ध को ले तो यह कहना गलत ना होगा की यूक्रेन को मोहरा बनाकर यूरोपीय देश अपने हथियार बेचने का एक नया बाजार तैयार कर रहे है साथ ही यूक्रेन का इस्तेमाल कुछ अफगानिस्तान जैसे किया जा सकता है और दशकों तक गुलामी के मोहरे का फायदा उठा सकते है l मानवीय दुहाये देकर थोड़ा मदद और ज्यादा से ज्यादा लूटपाट की जाएगी l अन्य अवसरवादी उदाहरणों मे वियतनाम युद्ध, खाड़ी युद्ध, अफगानिस्तान युद्ध आदि l
एक बात इन बहुमुखी मानवता वादी समाज को जरूर समझना चाहिए कि युद्ध मे आखिर लड़ता कौन है.. एक सैनिक llll जिसके अपने परिवार, घर,समाज, मित्र, बंधु सब होते है और लड़ाने वाले मानवता वादी ढोग रचकर अंत मे आपस मे गले मिलकर सब गिले – सिकवे भुला देते है l विशिष्ट बात यह है कि देश ने लाल,माँ- बाप ने उम्मीद , बहन ने राखी, बीवी ने सिन्दूर,बच्चो ने परछाई,जनमानस ने ज़मीन, संसाधन, रोजगार खोने के बाद चंद लम्हो मे याद करके लड़ाने वाले राजनेता शहीदो का नाम लेकर सालो साल राजनीतिक मलाई खाते है l किसी को ना बेजुमान माँ -बाप कि पड़ी ना बिलखती बहन की, ना होश खोये अर्धांगिनी की और ना ही आँखों मे बाप का इंतज़ार कर रहे बच्चो की l यही युद्ध की सच्चाई है…. मिट्टी बदन पर लगती पराई है l खोते है हम अपनों को लेकिन मलाई किसी और ने खाई है…. जय हिन्द