युद्ध घोष
युद्ध घोष
शोकाकुल व्याकुल तरूणी मुख, देख देख अकुलाऊं।
जला रही शोकाग्नि है तन मन, मुख कैसे दिखलाऊं ।
मृत्यु भयावह नर्तन करती , रण मुद्रा में भारी ।
खंड-खंड नरमुंड फड़कते, युद्ध घोष की बारी।
दृश्य देख अत्यन्त विनाशक,मैं किसको समझाऊं।
है जला रही शोकाग्नि तन मन ,मुख कैसे दिखलाऊं।
शोकाकुल व्याकुल तरूणी मुख, देख देख अकुलाऊं।
डा प्रवीण कुमार श्रीवास्तव प्रेम