युग बीते और आज भी ,
युग बीते और आज भी ,
मिटी न हम देशवासियों की आपसी कलह।
तभी इसी कमजोरी का लाभ उठाकर,
विदेशी करते आए हमारी सरजमीं पर फतेह ।
युग बीते और आज भी ,
मिटी न हम देशवासियों की आपसी कलह।
तभी इसी कमजोरी का लाभ उठाकर,
विदेशी करते आए हमारी सरजमीं पर फतेह ।