युगों पुरानी कथा है, सम्मुख करें व्यान।
युगों पुरानी कथा है, सम्मुख करें व्यान।
बूंद बूंद से घट भरे, मानुष धरें ध्यान।।
जल जीव का प्राण है, अन्न नहीं है जान।
वृक्ष एक हर घर में हो,जल करो संन्चान।
जग तारती श्री गंगें, सब का करें कल्यान।।
जो जन जैसे ध्यात है, फल पाये दरम्यान।
दुर्वासा ऋषि जी के श्राप इन्द्र हुए अंर्तध्यान।
शचि की करुण पुकार सुन,विधि महिमा महान।।
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी
झांसी उ•प्र•