क्या ये किसी कलंक से कम है
विश्वपर्यावरण दिवस पर -दोहे
ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
यूं तेरे फोटो को होठों से चूम करके ही जी लिया करते है हम।
******** कुछ दो कदम तुम भी बढ़ो *********
कौन कहता है कि लहजा कुछ नहीं होता...
*वह महासमर का नायक है, जो दुश्मन से टकराता है (राधेश्यामी छं
मुझसे नाराज़ कभी तू , होना नहीं
जो दूसरे को इज्जत देते हैं असल में वो इज्जतदार होते हैं, क्य
फादर्स डे ( Father's Day )
सुनो सुनाऊॅ॑ अनसुनी कहानी
इम्तहान दे कर थक गया , मैं इस जमाने को ,
हिम्मत वो हुनर है , जो आपको कभी हारने नहीं देता। नील रूहान
मृत्यु शैय्या
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '