यार
न तो है शिकवा, गिला किसी से।
मैं अरसों से ,न, मिला किसी से।
जो चंद लमहे, गुजरे थे संग तेरे।
वही था जन्नत खुदा कसम से।।
तेरी मुहब्बत में थी वफाई।
तेरी वफा में भरी खुदाई ।।
उसी खुदा की तलाश में मैं।
भटक रहा हूं मैं दरबदर से।।
जय हो
न तो है शिकवा, गिला किसी से।
मैं अरसों से ,न, मिला किसी से।
जो चंद लमहे, गुजरे थे संग तेरे।
वही था जन्नत खुदा कसम से।।
तेरी मुहब्बत में थी वफाई।
तेरी वफा में भरी खुदाई ।।
उसी खुदा की तलाश में मैं।
भटक रहा हूं मैं दरबदर से।।
जय हो