यार मेरे
आरजू थी वस्ल की ग़म तो बेशुमार था,
था मेरे ख़िलाफ़ जो वह तो मेरा यार था,
मैं मुहब्बत के चरागों को जरा सम्हालता,
मुझको मिटाने में लगे दो यार में करार था,
आरजू थी वस्ल की ग़म तो बेशुमार था,
था मेरे ख़िलाफ़ जो वह तो मेरा यार था,
मैं मुहब्बत के चरागों को जरा सम्हालता,
मुझको मिटाने में लगे दो यार में करार था,