यार मेरा
यार मेरा
वो किश्तों में कत्ल करता है मयार मेरा,
मेरी मजबूरियों पे हँसता है, यार मेरा।
ये शिकंद, माथे की उससे छुपाऊं कैसे?
हाल जो फ़ौरन कर देता है, अख़बार मेरा।
हमदर्द, हमकदम, हमसाया बतलाता है,
और फिर कर देता है दिल तार – तार मेरा।
ऐ यार मेरे ! तू ही बता, तेरा आख़िर क्या करूं?
न होना तेरा खलता बहुत है,होने से जिंदगी है दुश्वार मेरा।
मेरी मजबूरियों पे हंसता है यार मेरा……