*** यार मार ने कसर ना छोड़ी ****
*** यार मार ने कसर ना छोड़ी ****
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यार की खातिर जान झोंक दी,
रख दी जान हथेली पे,
यार मार ने कसर ना छोड़ी,
यार की नजर सहेली पे।
दिल दरिया सा बहता जावे,
कोई तरस ना आवे,
के ले रया वा मन में झकोई,
बात समझ ना आवे,
क्यूकर सुलझे प्रेम की गुत्थी,
रख दिया ध्यान पहेली पे।
यार मार ने कसर ना छोड़ी,
यार की नजर सहेली पे।
कट्ठे खाये कट्ठे ही खेले,
कट्ठया ने हर काम किया,
हेरा फेरी सो कोस दूर थी,
एक दूसरे का साथ दिया,
हर पल हर दम साथे रहे हम,
सोये कट्ठे साथ हवेली पे।
यार मार ने कसर ना छोड़ी,
यार की नजर सहेली पे।
पैसे धैले भी बीच ना आये,
बहुत गाढ़ा था प्यार रहा,
कैसी भी हो मुश्किल आई,
दो यारां बीच एतबार रहा,
देख राम की या करनी कैसी,
टूटी यारी नवी नवेली पे।
यार मार ने कसर ना छोड़ी,
यार की नजर सहेली पे।
मनसीरत देख्या टैम का फेरा,
बुद्धि भी मारी जाती,
टैम घड़ी की सारी बात होवे से,
किस्मत भी हारी जाती।
सोना चाँदी धन माया छोड़ी,
मर गया गुड़ की ढेली पे।
यार मार ने कसर ना छोड़ी,
यार की नजर सहेली पे।
यार की खातिर जान झोंक दी,
रख दी जान हथेली पे,
यार मार ने कसर ना छोड़ी,
यार की नजर सहेली पे।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)