*यार के पैर जहाँ पर वहाँ जन्नत है*
यार के पैर जहाँ पर वहाँ जन्नत है
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यार के पैर जहाँ पर वहाँ जन्नत हैँ,
प्यार की दात पुरी हो गई मन्नत है।
हौसला साथ रहा तो तुझे पा लेंगे,
आखिरी मांग खुदा से यही हसरत है।
आप सा खास खड़ा साथ मेरे हरदम,
पास भरपूर जहां की यहाँ उल्फत है।
लाख से है राख हुई खींच तेरी- मेरी,
हो बहुत दूर गई बीच से नफरत है।
आज दरगाह तिरी मै खड़ा मनसीरत,
हर घड़ी खूब मिली गाज सी दुर्गत है।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेडी राओ वाली (कैथल)