यारो ऐसी माॅं होती है, यारो वो ही माॅं होती है।
गीत – यारो ऐसी मां होती है।
घर औ’र बच्चों के खातिर, जो हर हाल में जी लेती है।
यारो वो ही माॅं होती है, यारो ऐसी माॅं होती है।
नौ महीने तक कोख में रखती फिर भी कभी न थकती है।
पूरे दिन पत्नी मां भाभी बहू रूप में ढलती है।
सबकी खुशियों के खातिर जो निश दिन सोचा करती है।1
(यारो वो ही माॅं होती है।)
बच्चों के सारे ग़म अपने आंचल में भर लेती है।
बच्चे को सूखे में रखकर खुद गीले में सोती है।
हर मौसम में गुजर एक धोती में जो कर लेती है।2
(यारो वो ही माॅं होती है।)
गर्मी में गर्मी जिसको सर्दी में ठंड नहीं लगती।
औरों के दर्दो गम उसके खुद पर ध्यान नहीं देती।
खाना पीना सोना हो तो सबसे पीछे रहती है।3
(यारो वो ही माॅं होती है।)
घर व बच्चों के खातिर जिसका तन मन नहीं थका।
लालच लोभ स्वार्थ भी जिसको जीवन में छू नहीं सका।
तीनों लोकों में केवल ये माता ही कर सकती है।4
(यारो वो ही माॅं होती है।)
……….✍️ सत्य कुमार प्रेमी