यारों ये कैसी विदाई
* यारों ये कैसी विदाई *
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यारों है ये कैसी विदाई,
आँखों मे आँसू ले आई।
मन हुआ है भारी-भारी
बहुत मुश्किल है जुदाई।
आखिर वही घड़ी आई,
जी सचमुच है दुखदायी।
जो आया वो जाएगा ही,
यही सदा से ही सच्चाई।
मनसीरत आँखे हैं नम,
होती सदा प्रीत है पराई।
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सुखविंदर सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)