याद
खट्टी-मीठी सी लगे, भूली बिसरी याद।
यादों में आते सभी, चल जाने के बाद।। १
बीत रहा जो पल यहाँ, बन जाते हैं याद।
जो गम खुशियों से भरा, गठरी देता लाद।। २
यादों पर किसका चला, आ जाता हर बार।
जब तब आकर छेड़ता, अंतस मन का तार।। ३
बसा जिस्म में रूह तक,ऐसी है कुछ याद।
करे जुल्म दिल पर बहुत, देता नहीं मियाद।। ४
साथी जिसका हो जुदा, करता उसको याद।
कोई जिसका हो नहीं, मिलने की फ़रियाद।। ५
वक्त बीत जाता मगर, रह जाती है याद।
किया वक्त गुलाम हमें, खुद घूमे आजाद।। ६
तिल-गुड़ औ चूड़ा-दही, फिर खिचड़ी का स्वाद।
थामे डोर पतंग की,अपनेपन की याद।। ७
-लक्ष्मी सिंह