याद शहीदों की
लाल किले के मस्तक पर, भारत का ध्वज लहराता है।
वतन पर मिटे शहीदों की, रह-रह कर याद दिलाता है।।
जब आती है बात राष्ट्र की, बूढ़ा भी शंख बजाता है।
देशभक्ति का बिगुल बजाकर, गूॅंगा भी गीत सुनाता है।।
ऐसे हैं हम भारतवासी, प्रेम से देखो, झुक जायेंगे।
बुरी नज़र जो हम पर डाली, सौ को मार के मर जायेंगे।।
भारत देश की आज़ादी का, जब मंज़र ज़हन में आता है।
वतन पर मिटे शहीदों की, रह-रह कर याद दिलाता है।।
इस मिट्टी के कण कण में, भारत माॅं का मान बसा है।
बच्चे बूढ़े सबके दिल में, प्यारा हिन्दुस्तान बसा है।।
हिंदुस्तान के घर घर में, शहीद की इक तस्वीर मिलेगी।
हाथ जोड़ पूछूॅं मैं रब से, कब ऐसी तकदीर मिलेगी।।
विधवा की सूनी माॅंग देख, आँखों में पानी आता है।
वतन पर मिटे शहीदों की, रह-रह कर याद दिलाता है।।
कौन अपना है कौन पराया, यही इक बात समझ न आई।
हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, मैं तो समझा भाई-भाई।।
क्या हुआ इस देश को यारों, सरहद के अन्दर भी दुश्मन।
कहाॅं छिपा किस दोस्त में दुश्मन, रोता है मेरा अंतर्मन।।
देख दुर्दशा भारत माॅं की, मुझको तो रोना आता है।
वतन पर मिटे शहीदों की, रह-रह कर याद दिलाता है।।
लाल किले के मस्तक पर, भारत का ध्वज लहराता है।
वतन पर मिटे शहीदों की, रह-रह कर याद दिलाता है।।
संजीव सिंह ✍️
द्वारका, नई दिल्ली