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29 May 2024 · 1 min read

ग़ज़ल (याद ने उसकी सताया देर तक)

ग़ज़ल

याद ने उसकी सताया देर तक
धूप रहती है न साया देर तक

चाँदनी रातों में मिलने आयेगा
ख़्वाब मीठा इक सजाया देर तक

छोड़ कर महफ़िल गये जो हम कभी
यार ने हमको मनाया देर तक

दिल मे यूँ उसकी रही सूरत सदा
नूर उसका झिलमिलाया देर तक

रातरानी भी महक कर कह रही
प्यार क्यों दिल में दबाया देर तक

‘रागिनी’ जो दिल में हो खुल कर कहो
वक्त यूँ करना न ज़ाया देर तक

डॉक्टर रागिनी शर्मा
इंदौर

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