याद तो करती होगी
चाँद अधूरा देख फ़रियाद तो करती होगी,
माना ज़्यादा नहीं करती, पर याद तो करती होगी।
दिन भर बिता लेती होगी वो गैरो की महफ़िल में,
फिर रात के कुछ पाल मेरी याद में बर्बाद तो करती होगी।
ना सोचो की जाग रहा हूँ, रातों में अकेला,
मेरी हिचकियाँ गवाह है, वो भी जागती होगी,
मुझे देख बदल लेती है, जो रास्ता अपना,
शायद मेरी सूरत भी अब, तकलीफ़ पहुचाती होगी…
Shubham Anand Manmeet