याद तुम्हारी……।
यादों के मेले में
पहले लम्हें थे गुजरे,
साल और सदियां गुजरी
अब गुजर रही जीवन मेरी,
आ रही है याद तुम्हारी।
मीठी – मीठी बात तुम्हारी॥
मिले थे जब हम
अनजाने राहों पर
चले थे साथ कुछ दुर
प्रीत की राहों पर
कल्पनाओं के अतीत में
बीत रही है पल – पल मेरी
आ रही है याद तुम्हारी।
मीठी – मीठी बात तुम्हारी॥
यादों के दायरे
सिमट गए हैं इतने,
वर्षों पहले की बातें
लगती है कल की,
जिंदगी के आखिरी पड़ाव पर
न पुरी हुई तमन्ना मेरी,
आ रही है याद तुम्हारी।
मीठी – मीठी बात तुम्हारी॥
ये तरसती निगाहें
तुझे ढ़ुढ़ती है अक्सर,
जहां मिलता है साथ
तन्हाईयों का अक्सर,
बचे न बाकी अब
जीवन की चाह मेरी,
आ रही है याद तुम्हारी।
मीठी – मीठी बात तुम्हारी॥
****** अवधेश कुमार ******